अयोध्या मामले पर वर्ष 1990 से लेकर 1992 तक कानून व्यवस्था की हालत बहुत खराब थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के इस्तीफा देने के बाद स्थिति और भी भयावह हो चुकी थी। उस समय मैं खुद डीजी होम गार्ड सिविल डिफेंस के रूप में लखनऊ में तैनात था। ऐसे में केंद्र सरकार को राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा और राज्यपाल मोती लाल बोहरा ने कमान संभाली।
उस समय प्रदेश में कानून व्यवस्था संभालना बड़ी चुनौती थी। यह कहना है उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी वीपी कपूर का। वीपी कपूर कहते हैं कि अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला अब तक का सबसे बेहतरीन फैसला है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2002 में मैंने एक किताब ‘द कम्बलिंग एडिफिक’ लिखी है, जिसका विमोचन खुद दिवंगत केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली (तत्कालीन केंद्रीय कानून मंत्री) ने किया था। किताब के चैप्टर 13 में पेज नंबर 250 से 272 में अयोध्या मामले के बाद से वर्ष 1993 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान कानून व्यवस्था को लेकर सारी गतिविधियों का जिक्र है।
इस दौरान प्रदेश में कानून व्यवस्था की बहाली कितनी बड़ी चुनौती थी। अयोध्या में माहौल गर्म होने के बाद दिसंबर 1993 में चुनाव हुआ। 4 दिसंबर 1993 को मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में सरकार बनी। यह पूरा चुनाव में प्रदेश में बिना किसी भी प्रकार की घटना हुए संपन्न कराया।वीपी कपूर आगे कहते हैं कि नई सरकार का गठन होते ही मैंने खुद पद छोड़ दिल्ली जाने की बात कही थी, क्योंकि मुझे पता था कि नई सरकार आने के बाद अपना डीजीपी और मुख्य सचिव तत्काल बदलती है, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने जाने नहीं दिया।